The Biography of Anandraj Surana. श्री आनंदराज सुराणा का जन्म जोधपुर के एक जैन परिवार में हुआ था। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात् उन्होंने बीकानेर राज्य रेल्वेज में नौकरी कर ली थी। जयनारायण व्यास जैसे नेताओं के साथ रहने के कारण बीकानेर के महाराजा ने श्री आनन्द को नौकरी से हटा दिया। जोधपुर लौटने पर श्री आनन्द ने अपने पिता श्री चौथमल सुराणा द्वारा स्थापित मारवाड़ी हितकारी सभा का कार्य सम्भाला और जन आन्दोलन संगठित करने का प्रयास किया। अतः जोधपुर के महाराजा ने उन्हें जयनारायण व्यास के साथ जोधपुर से भी निष्कासित कर दिया।
Biography of Anandraj Surana
श्री आनंदराज सुराणा जी का जन्म 28 सितम्बर, 1891 में हुआ था। आपके पिता श्री चांदमल सुराणा जोधपुर राज्य में राजनीतिक चेतना लाने वाले पहले और अग्रगण्य पुरुष थे। उन्होंने जोधपुर राज्य को शोषित और पीड़ित जनता के उद्धार के लिए मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना की थी। अपनी शिक्षा समाप्त करने के बाद आनंदराज सुराणा जी बीकानेर राज्य की रेलवे में 12/- रुपए प्रतिमाह पर सिगनेलर की नौकरी करने लग गए थे।
बीकानेर के महाराजा गंगासिंह को जब इस बात का पता चला कि वे राष्ट्रीय विचारों के व्यक्ति हैं तो नौकरी से अलग कर दिये गये और उन्हें तुरन्त बीकानेर छोड़ने के आदेश दे दिए गए। बीकानेर में निर्वासित होने के बाद आनंदराज ने जोधपुर आकर अपने पिता के साथ मारवाड़ हितकारिणी सभा का कार्य करने का निश्चय किया। उनके पिता को भी जोधपुर महाराजा ने सहयोगियों के साथ जोधपुर से निर्वासित कर दिया। आनंदराज और उनके सहयोगियों को दस नम्बरी घोषित कर दिया जिसके परिणाम स्वरूप रात में उन्हें पुलिस थाने में जाकर सोना पड़ता था और दिन में किसी भी काम के सिलसिले में उन्हें पुलिस थाने ले जाया जाता था। यह कम पूरे 14 महीने तक चलता रहा।
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आनंदराज सुराणा का भारत की स्वतंत्रता में क्या योगदान था?
श्री जयनारायण व्यास ने अपने सहयोगी श्री आनन्द राज सुराणा और श्री भंवरलाल सर्राफ के साथ ब्यावर से अपना कार्यक्रम आरम्भ किया। उन्होंने जोधपुर में एक सम्मेलन बुलाने का निश्चय किया तो जोधपुर महाराजा ने इन्हें गिरफ्तार करके बाढ़मेर, सिवाना और नागौर के जिलों में बन्द करवा दिया। नागौर के किले में बैठी एक विशेष अदालत में इन लोगों को 5-5 वर्ष की सख्त कैद की सजा दी गई। गाँधी हरबिन समझौते के परिणाम स्वरूप इन्हें सजा पूरी होने से पूर्व ही छोड़ दिया। जोधपुर से निर्वासित श्री आनन्द जेल से छूटने पर दिल्ली में जा बसे किन्तु वे देशी राज्य प्रजा परिषद् और कांग्रेस के कार्यक्रमों के लिए सक्रिय रूप से कार्य करते रहे।
1942 की अगस्त की क्रान्ति में देश के नेताओं की सामूहिक गिरफ्तारी हुई। क्रान्ति के समय भूमिगत नेताओं को श्री आनन्द ने अपनी कोठी में शरण दी । सुराग पाकर पुलिस ने उनके ऑफिस और कोठी की तलाशियाँ ली और उन्हें गिरफ्तार कर लाहौर जेल में नजरबन्द कर दिया। अनेक कष्ट सहन करके भी उन्होंने सरकार को कोई जानकारी नहीं दी।
वे गुप्तरूप से गाजियाबाद, मेरठ, हावड़ा, अजमेर, उदयपुर और विशेष रूप से जयपुर में छिपकर अपना फरारी का समय बिताते रहे। वे जीवनपर्यन्त खादी की पोशाक ही पहनते रहे। धोती कुर्ता और सफेद टोपी हो सदा से उनकी पोशाक रही।
श्री आनंदराज सुराणा का दिल्ली से चुनाव जितना और अंतिम समय
सन 1952 में उन्होंने दिल्ली विधानसभा का चुनाव भारी बहुमत से जीता और पाँच वर्ष तक उसके सदस्य रहे। 70 वर्ष की अवस्था में सन् 1960 में श्री सुराणा ने राजनीति से अवकाश ले लिया और धार्मिक कार्यों की ओर लग गए। आपने भारत गौ-रक्षा अभियान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। “अहिंसा विश्वविद्यालय”, “अहिंसा पुस्तकालय” और “अहिंसा अनुसंधान केन्द्र” की स्थापना के सपने संजोने वाले श्री सुराणा पीड़ित मानव को हर सम्भव सहायता करते रहे।
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FAQs
Ans- श्री आनंदराज सुराणा जी भारत के राजस्थान राज्य के एक स्वतंत्रता सेनानी थे, इनका का जन्म 28 सितम्बर, 1891 में बीकानेर राजस्थान में हुआ था। आपके पिता श्री चांदमल सुराणा जोधपुर राज्य में राजनीतिक चेतना लाने वाले पहले और अग्रगण्य पुरुष थे। उन्होंने जोधपुर राज्य को शोषित और पीड़ित जनता के उद्धार के लिए मारवाड़ हितकारिणी सभा की स्थापना की थी.