Biography of Sumanesh Joshi- श्री सुमनेश जोशी का जन्म 3 सितम्बर, 1916 को जोधपुर के एक सामान्य पुष्करना ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 14 वर्ष की अल्प आयु में ही आपके पिता का निधन हो गया। माता श्री वात्सल्य में श्री जोशी का शेष बाल्यकाल सम्पन्न अल्प आयु में पारिवारिक दायित्वों का निर्वाह करने वाले सुमनेश जी ने बड़ी कठिनाई से अपनी शिक्षा पूरी की थी। सौभाग्यवश उन्हें राज्य सेवा का अवसर मिल गया। सरकारी नौकरी करते हुए श्री जोशी ने शीघ्र उन्नति की और थोड़े ही समय में राज्य के प्रचार अधिकारी के पद पर पहुँच गए। उन्हें लोक नायक श्री जयप्रकाश नारायण व्यास से देश सेवा की प्रेरणा मिली थी। राजकीय सेवा में संलग्न रहते हुए उन्होंने यूथ लीग, बाल भारत सभा व क्रान्तिकारियों के साथ अपना सम्पर्क रखा और उनकी कार्यवाहियों में समयानुसार भाग लेते रहे।
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सुमनेश जोशी जी प्रचार अधिकारी के रूप में वे राज्य के विभिन्न स्थानों पर आते-जाते रहते थे। वहाँ अपनी राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत कविताएँ सुनाकर वे लोगों के मानस में क्रान्तिकारी विचारों का अभिप्रेरण किया करते थे । जुलाई 1942 में उन्होंने राजकीय सेवा से मुक्ति प्राप्त करके लोग परिषद् के आन्दोलन की बागडोर अपने हाथों में संभाल ली। स्थान-स्थान पर घूम-घूम कर उन्होंने राज्य की जनता के मनोबल एवं राष्ट्रीय भावना को जागृत किया तथा लोगों में एक नवीन जोश का संचार किया। सरकार ने 14 जुलाई 1942 को श्री जोशी को गिरफ्तार किया और 4 वर्ष 7 महीने की सजा देकर जेल भेज दिया।
जेल से मुक्त होकर लौटने पर श्री जोशी को अखिल भारतीय देशी राज्य प्रजा परिषद् का प्रतिनिधि चुना गया। तदनन्तर आपने 1946 में जोधपुर से ‘रियासती’ नामक दैनिक पत्र का संचालन सम्पादन किया। स्वाधीनता के बाद राजपूताने के कुछ राजा अपनी रियासतों का पाकिस्तान में विलय करने की तैयारी कर रहे थे, उस समय श्री सुमनेश जोशी ने अत्यन्त साहस के साथ कार्य करते हुए स्थिति को सम्भाला और राजस्थान के किसी भी भाग को पाकिस्तान में सम्मिलित नहीं होने दिया।
सुमनेश जोशी जी का राजस्थान के साहित्य में क्या योगदान था?
श्री सुमनेश जोशी लोक नायक जयनारायण व्यास के विश्वास पात्र साथी रहे हैं। उन्हें राजनीति में निहित कोई स्वार्थ नहीं था और न ही वे कुर्सी के भूखे थे । उन्होंने अपनी पत्रकारिता के द्वारा जागीरी प्रथा और वंश परम्परागत राजवंशों की समाप्ति और राजपूताने की रियासतों का एक संघ राज्य बनाने के लिए बहुत प्रबल जनमत बनाया। राजस्थान निर्माण के बाद श्री सुमनेश जोशी जयपुर में आकर बस गये। उन्होंने “राष्ट्रदूत” के संस्थापक सम्पादक का दायित्व निभाया और “ आयोजन” नाम का एक शानदार सचित्र साप्ताहिक पत्र भी निकाला/श्री सुमनेश जोशी के लगभग 28 से ऊपर ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। श्री जोशी राजस्थान के वरिष्ठ साहित्यकार, सुलझे हुए विचारक और एक क्रान्ति दृष्टा कवि के रूप में सदैव स्मरणीय रहेंगे।
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FAQs
Ans- सुमनेश जोशी राजस्थान की स्वतन्त्रा सेनानी थी, साथ ही श्री सुमनेश जोशी जी साहित्य के छेत्र में राजस्थान में एक अलग अलख जगाई थी.