Rajasthan Wildlife Sanctuaries-: राजस्थान विभिन्नताओं से भरा हुआ प्रदेश है. यहाँ आपको एक तरफ रेगिस्तान है तो दूसरी तरफ नदिया और तालाब झील है. बहुत सरकारी एग्जाम की तैयारी कर रहे उम्मीदवारो के सवाल होते है जैसे. वर्तमान में राजस्थान में कितने वन्य जीव अभ्यारण है?. राजस्थान में नवीनतम वन्य जीव अभ्यारण कौन सा है?. और राजस्थान में वन्य जीव अभ्यारण कौन कौन से हैं?. राजस्थान के 3 राष्ट्रीय उद्यान कौन कौन से हैं?. हम यहाँ राजस्थान के प्रमुख 26 वन्य जीव अभयारण्य और उनकी विशेषता का विस्तार से उल्लेख करेंगे, इस लिए बने रहे हमारे साथ अंत तक.
राजस्थान के जिलों का इतिहास और पर्यटक स्थल और रोचक जानकारी
राजस्थान के वन्य जीव अभयारण्य कौन कौन से है?
- सरिस्का अभ्यारण अलवर
- जयसमंद अभ्यारण उदयपुर
- नाहरगढ़ वन्य जीव अभ्यारण जयपुर
- बस्सी अभ्यारण चित्तौड़गढ़
- सरिस्का अभ्यारण अलवर 2
- मरू राष्ट्रीय उद्यान जैसलमेर
- माउंट आबू वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी सिरोही
- जवाहर सागर अभ्यारण कोटा
- सीतामाता अभ्यारण प्रतापगढ़
- रामगढ़ विषधारी अभ्यारण बूंदी
- माचिया सफारी जोधपुर
- गजनेर अभ्यारण बीकानेर
- ताल छापर अभ्यारण सुजानगढ़ चूरू
- कनक सागर अभयारण्य बूंदी
- सज्जनगढ़ अभयारण्य उदयपुर
- भैंसरोड़गढ़ अभ्यारण चित्तौड़गढ़
- कुंभलगढ़ अभ्यारण राजसमंद
- सवाई मानसिंह वन्य जीव अभ्यारण सवाई माधोपुर
- टॉडगढ-रोली सैंक्चुरी उदयपुर
- फुलवारी की नाल अभ्यारण उदयपुर
- चंबल अभ्यारण कोटा
- शेरगढ़ अभ्यारण बारा
- जमवारामगढ़ अभ्यारण जयपुर
- बंध बरेठा अभ्यारण भरतपुर
- कैला देवी वन्य जीव अभ्यारण करौली
- वन विहार अभ्यारण धौलपुर
मरू राष्ट्रीय उद्यान जैसलमेर
Maru National Park Jaisalmer- छेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा अभ्यारण है. इसका छेत्रफल 3162 वर्ग किलोमीटर छेत्र में विस्तृत है, जिसका 1900 वर्ग किमी जैसलमेर तथा 1262 वर्ग किमी बाड़मेर जिले में पड़ता है. इस अभ्यारण में सर्वाधिक संख्या में गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ) पाया जाता है. राष्ट्रीय अभ्यारण्य जैसलमेर में स्फीयर रिजर्व पार्क बनाया जाना प्रस्तावित है.
इस अभ्यारण्य में सेवण घास सबसे अधिक पाई जाती है. जैसलमेर जिले के शाहगढ़ बल्ज छेत्र में ग्रासलैंड में अफ्रीकन चीते बसाने की योजना सरकार द्वारा प्रस्तावित है. मरू उद्यान में उभयचर जंतु समूह टांड की प्रजाति एंडरसन टांड पाई जाती है, इस अभ्यारण्य में रेगिस्तान सांपो में पीवणा सांप ,कोबरा सांप और रसलस्यीपार (घोडा पछाड़ सांप) पाए जाते है.
तालछापर अभयारण्य सुजानगढ़ चूरू
Talchapar Sanctuary Sujangarh Churu- तालछापर अभयारण्य सुजानगढ़ चूरू एशिया का सबसे बड़ा कृष्ण मर्ग (काला हिरण) अभयारण्य है, यहाँ लगभग 1500 काले हिरण है. इस तालछापर अभयारण्य को काले हिरणों का संसार भी बोलते है. इस अभयारण्य में लगभग 34 किस्म की घास उगती है.
मोचिया घास इस तालछापर अभयारण्य में उगने वाले प्रमुख घास है, मोचिया घास को काले हिरण बड़े चाव से खाते है. यहाँ गुरु द्रोणाचार्य का आश्रम अवस्थित था.
तालछापर अभयारण्य सुजानगढ़ चूरू में पाये जाने वाले प्रमुख पशु-पक्षी– इस अभयारण्य में काला हिरण और प्रवासी पक्षी कुरजां की शरणस्थली है. यहाँ लेगर फाल्कन, मरू लोमड़ी, इंडियन कोरसर ,सफेद बुज्जा (वाइट आईबिस ), और हंस की ग्रेलेंड गुज पाई जाती है.
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सरिस्का अभ्यारण्य अलवर
Sariska Sanctuary Alwar- सरिस्का अभ्यारण्य अलवर में स्थित है. इस अभ्यारण को 1981 में राष्ट्रीय उधान का दर्जा दिया गया था. इस अभ्यारण में दुनिया में पहली बार बाघ की शिफ्टिंग की गयी थी. सरिस्का अभ्यारण्य के काल्ह घाट पर सर्वाधिक मोर पाए जाते है. दोस्तों मोर अपना राष्ट्रीय पक्षी है. इस अभ्यारण में RTDC की होटल टाइगर डेन स्थित है. सरिस्का अभ्यारण्य नेशनल हाईवे 8 पर दिल्ली जयपुर मार्ग के पास स्थित है.
इसका छेत्रफल 866 किमी मील है. इस अभ्यारण में कास्का और कांकवाड़ी के पठार और दुर्ग भी है. दोस्तों मुंगल राजा साहजहा के सबसे बड़े बेटे दारा शिकोह को यहां के कांकवाड़ी के दुर्ग में उसके ही क्रूर भाई ओरंगजेब ने कैद किया था. और बाद में उसका सर कलम करके मार दिया था. इसलिए सरिस्का अभ्यारण्य का सम्बन्ध मुगल इतिहास से भी रहा है.
सरिस्का अभ्यारण्य में 4 मंदिर भी है, जो इस प्रकार है पांडुपोल हनुमानजी, नीलकंठ माहदेव, भर्तहरि और तालवृक्ष. इन जंगलो में प्रभावी वृक्ष ढोक है. पांडवो ने वनवास के दौरान सरिस्का में आश्रय लिया था. तथा विस्वी शताब्दी में माहराजा जयसिंह ने सरिस्का को सरक्षित छेत्र बनाने के लिए अभियान चलाया था.
सीता माता अभ्यारण्य प्रतापगढ़
Sita Mata Sanctuary Pratapgarh- सीता माता अभ्यारण्य प्रतापगढ़ राजस्थान का एकमात्र ऐसा अभ्यारण है जिसमे सागवान के वन पाये जाते है. इस अभ्यारण से करमोई (कर्म मोचनी ) पवित्र नदी का उद्गम स्थान है. सीता माता अभ्यारण्य में लव-कुश नामक दो सदाबहार जल स्रोत है. दोस्तों राजस्थान में उड़न गिलहरी भी यही सीता माता अभ्यारण में पाई जाती है. दोस्तों आप जानकर आश्चर्यचकित होंगे की हिमालय के बाद पुरे देश में अगर जड़ी बूटी किसी वन में पाई जाती है तो व है सीता माता अभ्यारण प्रतापगढ़ है.
यह वन छेत्र अत्यधिक दुर्लभ वन औषधियों के उपलब्धता के कारन बहुत प्रसिद्ध है. सीता माता अभ्यारण्य अरावली पर्वत, विंध्यचल और मालवा का पठार का संगम है. यहाँ जाखम नाम से एक मात्र बांध है.
कुम्भलगढ़ अभयारण्य राजसमंद
Kumbhalgarh Sanctuary Rajsamand- कुम्भलगढ़ अभ्यारण राजसमंद भेड़ियों की प्रजनन स्थली है. इसके अलावा जंगली धूसर मुर्गो के लिए भी प्रसिद्ध है. इस अभ्यारण में घंटेल नामक चौसिंगा हिरण पाया जाता है. रणकपुर जैन मंदिर और कुम्भलगढ़ दुर्ग इस अभ्यारण में स्थित है. इस अभ्यारण का जोबा खंड प्रख्यात है.
रामगढ़ विषधारी अभ्यारण बूंदी
Ramgarh Toxic Sanctuary Bundi- रामगढ़ विषधारी अभ्यारण बूंदी क्षेत्र के अतिरिक्त राजस्थान का एकमात्र ऐसा अभ्यारण्य है, जहां राष्ट्री पशु बाघ भी विचरण करते है. इस अभ्यारण्य में धोकड़ा मुख्य वन की प्रजाति पाई जाती है. नेशनल टाइगर कन्जर्वेसन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ने इस अभ्यारण्य बाघ परियोजना में शामिल किया है. दोस्तों इस अभ्यारण्य को रणथम्भौर बाघों का जच्चा घर भी कहते है.
गजनेर अभयारण्य बीकानेर
Gajner Sanctuary Bikaner- गजनेर अभयारण्य बीकानेर बटबड़ पक्षी जिसको रेट का तीतर भी कहते है, का विश्व प्रसिद्ध अभ्यारण है. इस अभ्यराण्य को विश्व विख्यात चिता विशेषज्ञों ने 2009 में देश के सात स्थानो में इसको भी जगह दी है. तो उम्मीद है आने वाले दिनों में यहाँ अफ्रीकन चीते देखने को मिले.
चम्बल अभयारण्य कोटा
Chambal Sanctuary Kota- चम्बल अभयारण्य कोटा घड़ियालों के लिए प्रसिद्ध है. इस अभ्यारण में ऊदबिलाव भी पाये जाते है. गांगेय सूस विशिष्ट स्तनधारी जंतु यहाँ इस अभ्यारण में पाया जाता है. चम्बल अभयारण्य को घड़ियालों का संसार भी कहते है. GIS (जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम) और GIS (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) तकनीक से चम्बल घड़ियालों और मध्यप्रदेश में कुनो पालपुर में देख रेख की जा रही है. इससे पहले भारत में BEST (Basic Field Service Technology) तकनीक का ही इस्तेमाल किया जाता था.
रावली टॉडगढ़ उदयपुर
Rawali Todgarh Udaipur- रावली टॉडगढ़ उदयपुर इस अभ्यारण्य का नाम अंग्रेजी इतिहासकार कर्नल टांड के नाम पर रखा गया है. इस अभ्यारण्य अजमेर और राजस्थान के पाली,राजसमंद जिलों में फैला हुआ है. यह अभ्यारण्य 495.27 वर्ग किमी में फैला हुआ है. Rajasthan Wildlife Sanctuaries.
आबू अभयारण्य सिरोही राजस्थान
Abu Sanctuary Sirohi Rajasthan- आबू अभयारण्य सिरोही राजस्थान का एकमात्र अभयारण्य है जो सबसे उचाई पर है. इस अभ्यारण्य में जंगली मुर्गे तथा डिकिल पटेरा भी पाया जाता है जो की संसार में यही पाया जाता है. इस अभयारण्य में सबसे जायदा पायी जाने वाली घास का नाम कारा है. दोस्तों इस अभयारण्य में राजस्थान की सबसे सुन्दर छिपकली पायी जाती है जिसको उबलेफरिस के नाम से जाना जाता है.
जयसमंद अभयारण्य उदयपुर
Jaisamand Sanctuary Udaipur- जयसमंद अभयारण्य उदयपुर 1957 में इस अभ्यारण्य की स्थापना की गयी थी. इस अभयारण्य को जलचरों की बस्ती भी कहते है. यहाँ प्रमुख रूप से बहोरा पक्षी पाए जाते है और इनकी आश्रय स्थली के रूप में प्रसिद्ध है. नए समाचारों के अनुसार यहाँ चीतल और सांभर की संख्या में इजाफा हुआ है और 5 सालों में संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है. जयसमंद अभयारण्य में बढ़ा चीतल का कुनबा,प्राकृतिक माहौल में परिवार के साथ देख सकते हैं.
सज्जनगढ़ अभयारण्य उदयपुर
Sajjangarh Sanctuary Udaipur- सज्जनगढ़ अभयारण्य उदयपुर राजस्थान का दूसरा सबसे छोटा अभयारण्य है. सज्जनगढ़ अभयारण्य उदयपुर सज्जनगढ़ पैलेस के चारों ओर उदयपुर से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित है. बंसदारा हिल, जो अभयारण्य की पृष्ठभूमि में स्थित है, इस जगह से बहुत सुन्दर लगता है. टाइगर झील, जिसे जियान झील या बड़ी झील के रूप में जाना जाता है, सज्जनगढ़ अभयारण्य के अंदर स्थित है. इस कृत्रिम झील को वर्ष 1664 में मेवाड़ के पूर्व राजा, महाराणा राजसिंह के द्वारा बनाया गया था.
राजस्थान के राष्ट्रीय पार्क कौन-कौन से है?
- रणथंबोर राष्ट्रीय पार्क/केला देवी राष्ट्रीय पार्क.
- घना पक्षी विहार भरतपुर.
- मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय पार्क कोटा.
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FAQs
Ans- औरंगजेब ने दारा शिकोह को सरिस्का अभयारण्य में स्थित कांकवाड़ी के किले में कैद किया था.
Ans- मरू राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के जैसलमेर में स्थित है.