Shakambhari | माँ शाकम्भरी के मंदिर

By | September 6, 2023
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Shakambhari | माँ शाकम्भरी को दुर्गा मां का अवतार माना जाता है. माँ शाकम्भरी कही पर चार भुजा के साथ विराजमान है. तो कही पर शाकम्भरी देवी माँ का आठ भुजा के अवतार में विराजमान है. माँ शाकम्भरी के अन्य नाम वैष्णो देवी, चामुंडा, कांगड़ा वाली, ज्वाला, चिंतपूर्णी , कामाख्या, शिवालिक पर्वत वासिनी, चंडी, बाला सुंदरी, मनसा, नैना और शताक्षी देवी कहलाती है. शाकम्भरी को रक्तदंतिका, छिन्नमस्तिका, भीमादेवी, भ्रामरी और श्री कनकदुर्गा भी कहते है.

पूरे भारत में माँ शाकम्भरी के बहुत मंदिर है. पर प्रमुख रूप से शक्ति पीठ उत्तरप्रदेश के सहारणपुर की पहाड़ियों में स्थित है. अगर आप पूरे भारत वर्ष में सबसे ज्यादा दर्शन वाले मंदिरो की बात करे तो. उत्तरप्रदेश के शाहरनपुर का शाकम्बरी माँ का मंदिर का नाम पहले पर आता है. आप तो ये मान के चलो, वैष्णो देवी मंदिर के बाद सब से प्रसिद्ध मंदिर माँ शाकम्बरी देवी मंदिर शाहरनपुर का ही है.

इसके अलावा मां शाकंभरी के दो प्रसिद्ध मंदिर (पीठ) और है, एक झुंझुनू सीकर के बॉर्डर पर अरावली पहाड़ियों में स्थित, सकराय गांव में देवी का पीठ है इस लिए इसको सकरायपीठ भी कहते है. और एक राजस्थान के ही नागौर जिले के सांभर नामक जगह पर भी देवी का पीठ है जिसको सांभर पीठ भी कहते है.

Shakambhariकिरोड़ी और लोहार्गल धाम झुंझुनू

शाकम्भरी माँ के दर्शन अंत में क्यों करते है?

नॉर्थ इंडिया में विद्यमान नौ देवियों में माँ शाकम्भरी के दर्शन अंत में होता है. वैष्णो देवी से शुरू होने वाली नौ देवी यात्रा मे माँ चामुण्डा देवी, माँ वज्रेश्वरी देवी, माँ ज्वाला देवी और माँ चिंतपुरणी देवी, माँ नैना देवी, माँ मनसा देवी, माँ कालिका देवी, माँ शाकम्भरी देवी उत्तरप्रदेश सहारनपुर आदि शामिल हैं.

स्कंद पुराण के अनुसार शाकम्भरी क्षेत्र और शाकेश्वर महादेव की प्रत्यक्ष महिमा बताई गई है. जोकि महाकाल (शिवालिक) पर्वतमाला मे स्थित शाकम्भरी क्षेत्र है. माँ शाकम्भरी के तीनों पीठों का सम्बन्ध शिवालिक पर्वतमाला पर विराजमान शाकम्भरी देवी से है. इसकी (शाकम्भरी ) गणना प्रसिद्ध 51 शक्तिपीठों मे होती है यहाँ सती का शीश गिरा था. पुराणों में इस देवी पीठ को शक्तिपीठ, परमपीठ, महाशक्तिपीठ और सिद्धपीठ कहा गया है.

सालासर बालाजी चुरू राजस्थान

माँ श्री शाकंभरी सहारनपुर मुख्य शक्ति पीठ

माँ श्री शाकंभरी भगवती का अति पावन प्राचीन सिद्ध शक्तिपीठ शिवालिक पर्वतमाला के जंगलों में एक बरसाती नदी के किनारे पर स्थित है. जो वर्तमान में उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में स्थित है. इस मंदिर को वैष्णो माता मंदिर के बाद उत्तरभारत में सब से जायदा देखा जाने वाला मंदिर का गौरव प्राप्त है.

मां शाकंभरी सहारनपुर मंदिर के दर्शन के लिए अक्सर देश के बड़े बड़े नेता और सरकारी ओहदो पर विराजमान ऑफिसर माँ के मथा टेकने आते है. दोस्तों शाकंभरी देवी के दरसन के लिए पुरे देश से भगतो का ताता साल भर लगा रहता है.

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Summary

भगवान/देवतामाँ शाकम्भरी (Shakambhari)
मंदिर का नाममाँ शाकम्भरी माता मंदिर सहारणपुर
मंदिर स्थानशिवालिक पर्वतमाला सहारणपुर
धर्महिन्दू
मंदिर का पतामुख्य मंदिर सहारणपुर उत्तर प्रदेश में है
उपनामशक्तिपीठ, परमपीठ, महाशक्तिपीठ और सिद्धपीठ
मंदिरो का उपनामसकराय धाम
मंदिर ओपन स्थितिओपन
स्थापितमहाभारत काल
आधिकारिक वेबसाइट
ईमेल आईडी
संपर्क संख्या
राज्य/संघ राज्य क्षेत्रउत्तर प्रदेश
पोस्ट श्रेणीशाकम्भरी माँ (Shakambhari Maa)

मां शाकंभरी किसकी कुलदेवी है?

शाकम्भरी माँ को चौहान सहित अनेक राजपूतो, कश्यपों, ब्राह्मणों, वैश्यों और जैसे खरोल, अनेकों जातियों की कुलदेवी भी माना जाता है. तथा माँ शाकम्भरी को, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब उत्तर प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड,दक्षिणी हिमाचल प्रदेश, क्षेत्र में भक्तिभाव से कुलदेवी के रूप मे पूजी जाती है.

7वीं से 8वीं शताब्दी के मध्य अनेकों राजपूत राजाओ ने अपने राज्य का विस्तार किया. इसी कर्म में उन्होंने अपनी कुलदेवी माँ शाकम्भरी के भव्य मंदिर राजस्थान में सीकर, झुंझुनू के बॉर्डर पर सकरायपीठ और नागौर में सांभर पीठ बनवाये. और भगतो की आशाएं पूरी करने वाली माँ शाकम्भरी आशापुरा माता नाम से भी विख्यात है. माँ आदिशक्ति जगतजननी जगदंबिका योगमाया शाकम्भरी जंगल मे मंगल करने वाली भगवती है. शाकम्भरी माँ के सिद्ध शक्तिपीठ का उल्लेख महाभारत के वन पर्व मे इस प्रकार है ‘राजन उस पवित्र देवी स्थान की यात्रा करे जो तीनों लोको मे शाकम्भरी के नाम से विख्यात है’. यहाँ पर यह वर्णन शिवालिक पर्वत पर विराजमान माँ आदिशक्ति जगतजननी जगदंबिका योगमाया शाकम्भरी देवी का ही है. क्योंकि इस वर्णन मे शाकेश्वर महादेव का भी उल्लेख है जो शाकम्भरी देवी मंदिर के पीछे पहाड़ी की गोद मे है.

करणी माता मंदिर देशनोक बीकानेर राजस्थान

कोट सकराय धाम (शाकम्भरी) (Kot Sakrai Dham (Shakambhari)

भारत में शाकंभरी माता के 3 प्रमुख मंदिर है. सहारनपुर मंदिर शाकंभरी माता का प्रमुख मंदिर है. उसके बाद राजस्थान के सकराय गांव सीकर झुंझुनू की अरावली पर्वतमाला में स्थित सकराय गाँव मे अरावली की पर्वतमालाओं की शांत मालकेतु घाटी मे है. यह शाकम्भरी देवी माता का दुसरा प्रमुख मंदिर है. यहाँ पर माता के दर्शन ब्रह्माणी और रुद्राणी के रूप मे होते है, माता का यह मंदिर सीकर जिले मे स्थित है. झुंझुनू के उदयपुरवाटी से यह लगभग 16 किमी की दूरी पर स्थित है.

कस्बे के शाकम्भरी गेट से 16 किलोमीटर दूर अरावली की पहाडिय़ों के बीच सकरायपीठ माता शाकंभरी का प्राचीन मंदिर स्थित है. इसके पास प्रसिद्ध नाग कुंड है, जिसमे नहाने के लिए दूर दूर से लोग आते है. वर्सा ऋतू में शाकम्बरी माता और आस पास का छेत्र शेखावाटी में पर्यटक स्थल बन जाता है. क्यों की यहाँ झरने और कुंड भरे हुए मिलते है.

सकराय के मंदिर की स्थापना सैकड़ों वर्ष पूर्व में हुई थी. माता के मंदिर में ब्रह्माणी व रूद्राणी के रूप में दो प्रतिमाएं विराजमान हैं. सकराय सिद्धपीठ होने से माता की ख्याति आज पूरे भारत में फैली हुई है. शाकंभरी मंदिर के पुजारियों के अनुसार माता शाकंभरी के प्राचीन दो मंदिर है, पहला प्राचीन मंदिर यहां सकराय में तो दूसरा उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले मे है.

सकराय धाम की स्थापना किसने की थी?

शाकम्भरी माँ पहला शक्तिपीठ राजस्थान के सीकर जिले और झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी के पास है. जो सकराय माताजी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है की पांडवो ने अपने भाइयों और परिजनों का महाभारत के युद्ध में वध किया था. इसीलिए उस पाप की मुक्ति के लिए वह अरावली की पहाड़ियों में रुके थे. तब युधिस्ठिर ने पूजा अर्चना के लिए माता सकराय की स्थापना की थी. उसी को अभी शाकम्भरी देवी के रूप में माना जाता है.

कोट सकराय धाम शाकम्भरी देवी के VIP अनुयायी?

कोट सकराय धाम माता शाकम्भरी देवी के दर्शन हेतु अब तक पूर्व उप राष्ट्रपति भैरूसिंह शेखावत. Or पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल और पूर्व राजस्थान मुख्यमंत्री वसुंधरा राज्य और हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह. जैसे सेकड़ो बड़े नेता समय मिलते ही माँ शाकम्भरी दर्शन के लिए दौड़े दौड़े आते है.

इनके अलावा बॉलिवुड फिल्म स्टार मनोज कुमार, अजय देवगन, काजोल, तनिशा आदी सैंकड़ों अति विशिष्टजन समय समय पर नवरात्र में मां शाकम्भरी के दरबार में दर्शन कर चुके है. क्यों की माँ सकराय के जिस ने दर्शन कर लिए उसके बेड़े पार होते है और उनके चमत्कार ही लोगो को खींच लाते है.

रामदेव जी

सकराय धाम शाकंभरी में तामसिक भोग और सात्विक भोग की प्रथा कब शुरू हुई?

कहा जाता है कि यहाँ कोट सकराय धाम शाकम्भरी ब्रह्माणी को सात्विक और रूद्राणी को तामसिक भोजन परोसा जाता था. भोग के समय देवी की मूर्तियों के बीच पर्दा लगाया जाता था. एक बार भूलवश माँ ब्रह्माणी अर्थात शाकम्भरी के भोग के थाल से रूद्राणी अर्थात काली का भोग का थाल छू गया. तब माँ की मूर्ति का मुख तिरछा और हो गया था. इस कारन शाकम्भरी ब्रह्माणी को मंदिर से तामसिक भोग की प्रथा बंद हुई तथा तब से दोनों माताओं को सात्विक भोग दिया जाने लगा.

सकराय धाम शाकंभरी में वर्षा ऋतु में भ्रमण करने जाते हो तो, अरावली पर्वतमाला के खूबसूरत नजारे आप के मन को मोह लेंगे. जीवन में एक बार तो जरूर सकराय धाम शाकंभरी में माता के दर्शन के लिए जाना चाहिए.

देवनारायण जी महाराज

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Frequently Asking Questions

Q- Which Is the oldest Shakambhari mandir in India?

Ans- Situated in the hills of Saharanpur in Uttar Pradesh, Shakambhari Temple is the oldest and the main temple of Shakambhari Maa.

Shakambhari Official Website

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