Patwon ki Havelis History In Hindi | पटवों की हवेलियां का इतिहास

By | September 10, 2023
Patwon ki Havelis History In Hindi
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राजस्थान में प्रमुख रूप से झुंझुनू, सीकर, चूरू (शेखावाटी) नवलगढ़, मंडावा, चिड़ावा, पिलानी, खेतड़ी, सुजानगढ़, मुकनगढ़, फतेहपुर, बीकानेर. और ढूंढाड़ में, मारवाड़ में पाली, जोधपुर तथा मेवाड़ की हवेलियों स्थापत्य कला में एक अलग ही मुकाम रखती है. हम यहाँ Patwon ki Havelis History In Hindi में जानकारी शेयर कर रहे है. इस लिए आपको पटवों की हवेलियां की रोचक जानकारी के लिए इस पेज को अंत तक पढ़े. और पढ़ कर अपने विचार हमारे साथ साझा करे. अगर इस लेख में कुछ सुधार करना है तो कृपा हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताये.

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दोस्तों जैसा आपको मालूम ही है, राजस्थान अपने किलो और राजपुताना राज्य और अपने इतहाशिक धारोवेरो के लिए जाना जाता है. राजस्थान में बड़े बड़े सेठो और साहूकार हुए है. इन सेठो और साहूकारकारों ने अपने निवास के लिए हवेलियों का निर्माण करवाया था. इन हवेलियों की प्रमुख विशेषता, विशाल द्वार, द्वार पर कलात्मक चित्र और प्रवेश करते ही सामने चोबारा और उसके अगल बगल में मोटी दीवारों के कमरे होते है. ये हवेलियों एक, दो चौक से सात चोको की साथ ही दो से तीन और चार मंजिल ईमारत का रूप होती है.

पटवों की हवेलियां का इतिहास (History of Patwon Ki Havelis)

राजस्थान के जैसलमेर में स्थित पटवों की हवेली संस्कृति धरोवर के साथ, इस हवेली में सिंध, (अब पाकिस्तान) के साथ साथ भारत, मुग़ल कालीन, इजराइल (यहूदी) स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है. इस हवेली में 66 झरोखें है, जो की पांच हवेली को मिला कर बनी है, जो आपस में जुडी हुई है. पटवों की हवेली का निर्माण गुमानमल कोठरी जी ने अपने पांच बेटो के लिए 1805 ईस्वी में (अठारवीं शताब्दी) में बनवायी थी. इन हवेलियों का निर्माण में 50 वर्ष लगे थे. पटवों की हवेलियों भूमि से 10 फुट ऊचे चबूतरे पर हुआ है. साथ ही पटवों की हवेलियों साथ मंजिला ऊंची है. क्यों की छ मंजिल तो ऊपर है और एक मंजिल जमीन के अंदर है. पटवों की हवेलियों का निर्माण में चुना पत्थर का उपयोग काम हुआ है. (Patwon ki Havelis History In Hindi).

Summary

नामपटवों की हवेलियां (Patwon ki Havelis History In Hindi)
उपनामहवेली ऑफ़ ब्रोकेड मर्चेंट्स
निर्माण1805 ईस्वी
स्थापना किसने कीगुमानमल कोठरी जी
राज्यराजस्थान
जिलाजैसलमेर
तहसीलजैसलमेर नगर
किस लिए प्रसिद्ध हैमूरल वर्क, झरोखे, मेहराब, बालकनियों, प्रवेश द्वार और दीवारों पर भी जटिल नक्काशी और पेंटिंग
पोस्ट कैटेगरीPatwon ki Havelis History In Hindi (पटवों की हवेलियों का इतिहास)
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पटवों की हवेलियों में क्या खास है?

पटवों की हवेलियों में पीला बलुवा पत्थर लगा हुआ है. इस लिए ये दूर से सुनहरी रंग की दिखाई देती है. इन पटवों की हवेलियों में खाँचा बनाकर शीशे और लोहे से आकर्ति बुनी हुई है.

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राजस्थान जैसलमेर की पटवों की हवेलियां क्यों प्रसिद्ध है?

दोस्तों इन पटवों की हवेलियों के भीतर मेहराब और प्रवेश द्वार की अपनी अलग खासियत है. जो उन्हें एक-दूसरे से अलग करती हैं. प्रत्येक हवेली में एक अलग शैली का मिरर वर्क और चित्रों का चित्रण है. हवेलियों के खंडों में से एक में मूरल वर्क बहुत ही अद्भुद तरीके से डिज़ाइन किया गया है. और इसके झरोखे, मेहराब, बालकनियों, प्रवेश द्वार और दीवारों पर भी जटिल नक्काशी और पेंटिंग हैं. ये पटवों की हवेलियां पाँच हवेलियों से मिलकर बनी है. जो इसके परिसर के भीतर है और यह जैसलमेर शहर में अपनी तरह की सबसे बड़ी हवेली है. पहली हवेली, जिसे कोठारी की पटवा हवेली के नाम से जाना जाता है, यह इन हवेलियों में से एक है.

पटवों की हवेली का निर्माण किसने करवाया था?

दोस्तों वर्ष 1805 में पहली हवेली का निर्माण गुमान चंद पटवा द्वारा किया गया था. जो एक प्रसिद्ध आभूषण और अफीम, ब्रोकेस व्यापारी थे. यहां पर ब्रोकेड व्यापारिक प्रतिष्ठा के कारण पटवों की हवेली को अपने उत्कट व्यापारिक विशेषताओं की वजह से ‘हवेली ऑफ़ ब्रोकेड मर्चेंट्स’ भी कहा जाता था. मित्रों स्थानीय लोग के अनुसार पटवों की हवेली के चांदी और सुनहरे धागे व्यापारियों के बार में बताते हैं. जिन्होंने उस जमाने में अफीम तस्करी करके बहुत पैसा कमाया था, और इन हवेलियों का निर्माण करवाया था.

जैसलमेर में पटवों की हवेली में कितनी मंजिल है?

पटवों की हवेलियों भूमि से 10 फुट ऊचे चबूतरे पर हुआ है. साथ ही पटवों की हवेलियों सात मंजिला ऊंची है. क्यों की छ मंजिल तो ऊपर है. और एक मंजिल जमीन के अंदर है. पटवों की हवेलियों का निर्माण में चुना पत्थर का उपयोग काम हुआ है.

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FAQs

Q-पटवों की हवेलियां जैसलमेर का निर्माण किसने करवाया था?

Ans- पटवों की हवेलियां का निर्माण गुमानमल जी ने करवाया था.

Q- पटवों की हवेलियां को देखने की टिकिट कितने की है?

Ans-पटवों की हवेलियां को देखने के लिए 20 रुपये टिकट है, अगर आपक कैमरा साथ ले जा रहे है तो उसकी भी 20 रुपये टिकिट लगती है.

Q- पटवों की हवेलियां कब से कब ओपन रहती है?

Ans- ये पटवों की हवेलियां सुबह 9 बजे से शाम 6.30 PM तक आप इनको देख सकते है.

Patwon ki Havelis Official Website

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